Contact Information

Delhi

We Are Available 24/ 7. Call Now.

बिहार के जहानाबाद जिले के एक छोटे से गाँव में जन्में अनिरुद्ध कुमार, जिन्होंने सफलता की एक ऐसी कहानी रची जिसकी मिसाल आज जमाने में दी जाती है। आज की इस अंग्रेजी मीडियम वाली हाई क्लास दुनिया में हिंदी माध्यम के अनिरुद्ध कुमार ने UPSC में हिंदी से टॉप कर छात्रों को उम्मीद की नई किरण दी है। उनका हौंसला दुबारा सुदृढ किया है। अनिरुद्ध कुमार की यह कहानी आपके विचारों की नकारात्मकता को पूरी तरह बदल देगी और आपके अंदर सफलता पाने के जोश और जूनून की आग को फिर से जला देगी।

प्रारंभिक जीवन

आइये जानते हैं अनिरुद्ध कुमार के सफलता के इस सफर की अनौखी कहानी को, जो किसी हिंदी सिनेमा से कम नहीं। जहाँ वो स्वयं तो सफल हुए ही साथ ही अपनी पत्नी को भी इस सफलता का साथी बनाया। अनिरुद्ध कुमार का पालन-पोषण व प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा जहानाबाद में ही हुई थी। एक ऐसा जिला जो कभी नक्सली गतिविधियों का गढ़ हुआ करता था। आये दिन गाँव-के-गाँव नरसंहार की भेंट चढ़ जाते थे। अनिरुद्ध बताते हैं कि वो सब काफी डरे रहते थे कि कब हमारे गाँव का नंबर न आ जाये। उनकी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक की शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुई। फिर पिताजी को कानपुर में रेलवे में एक ठेके का काम मिला और उनका पूरा परिवार कुछ समय के बाद कानपुर आ गया। अतः 10वीं व उसके बाद की उनकी पढ़ाई कानपुर में हुई।

अनिरुद्ध पढ़ने में शुरू से ही अच्छे थे। अतः सबकी उम्मीदों से उनके प्रदर्शन पर दबाव बढ़ता गया। खेल व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों से वो दूर होते गये। इसका मलाल आज भी उनके अंदर है। उनका ये मानना है कि पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों का व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।

MBA छोड़ IAS का रुख

जैसा कि एक आम मध्यमवर्गीय लड़के के मन में अधिकतर होता है, इंजीनियरिंग व MBA जैसी प्रोफेशनल डिग्री प्राप्त कर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम मिल जाये। अनिरुद्ध भी बिल्कुल ऐसा ही करना चाहते थे, पर वो बताते हैं कि उनके जीवन की एक घटना ने उनके लक्ष्य की दिशा के साथ-साथ जीवन का पूरा प्लान ही बदल दिया।

हुआ कुछ यूँ कि कानपुर में उनके पिताजी ने अपनी कमाई जोड़कर, एक छोटी सी जमीन खरीदी थी, पर कुछ राजनीतिक जुड़ाव रखने वाले दबंगों ने इस पर अवैधानिक रूप से कब्ज़ा कर लिया। उनके पापा ने काफी हाथ-पैर चलाये, पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई, पर कहीं कोई असर नहीं दिखा। सब कुछ शून्य का शून्य बना रहा पिताजी की खून पसीने की कमाई से खरीदी वो ज़मीन उनके लिए कितनी कीमती थी, उस वक़्त वो ही जानते थे।

शिकायत करने पर भी किसी के कुछ न करने पर अनिरुद्ध के पिता सीधे पुलिस अधीक्षक (SP) महोदय से मिले। जिन्हें उन्होंने अपनी परेशानी बताई। उन्होंने तत्काल कारवाई का आश्वासन दिया। ऊपर से बने दबाव ने प्रशासन के काम में तेजी ला दी और पिताजी को उनकी जमीन वापस मिल गयी।

अनिरुद्ध कहते हैं बस इसी घटना ने मेरी सोच को पूरी तरह बदल दिया। वो इंजीनियरिंग के बाद सिविल सेवा की तैयारी करने लगे। शुरुआत में उन्हें सफलता भी मिलने लगी, पर जिस लक्ष्य की चाह उन्हें थी वो अभी दूर था और इस हताशा व निराश से उन्होंने राज्य लोकसेवाओं पर ध्यान देना शुरू कर दिया।

PCS से IAS तक का सफर

इन कोशिशों में भी उन्हें सफलता मिली और उनका चयन बतौर वाणिज्य कर अधिकारी (UPPCS-2012), असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर (UPPCS-2013) व पुलिस उपाधीक्षक (DSP, UPPCS-2014) के पद पर हुआ। पर कहीं-न-कहीं उनके दिल में वो कसक अभी भी थी कि वो UPSC क्लीयर नहीं कर पाये। इसी कसक ने उन्हें इतने महत्वपूर्ण पायदानों को पर करने पर बी संतुष्ट होकर बैठने नहीं दिया।

पति-पत्नी दोनों साथ बने IPS

पर कहते है ना होनी को कौन टाल सकता है इस बीच उनके जीवन में एक सुखद घटना यह हुई कि 2015 में उनकी शादी आरती सिंह से हुई। वो दोनों पहले से ही काफी अच्छे दोस्त थे। आरती भी उत्तर प्रदेश में BDO के पद पर कार्यरत थी, पर UPSC न पास करने की पीड़ा उनके मन में भी कहीं न कहीं अपना घर बनाए हुए थी। बस फिर क्या था, दोनों के मिलने से उनके हौंसलों और इरादों की शक्ति भी दुगनी हो गयी, एक दूसरे का साथ मिला और दोनों का मनोबल बढ़ गया। दोनों ने मिलकर दिन रात मेहनत की, बेहतर स्ट्रेटेजी बनाई, तैयारी की व 2016 की UPSC परीक्षा में दोनों पास हुए, आरती को AIR-118 के कारण IPS मिला और अनिरुद्ध को AFHQ मिला। लेक्किन फिर भी अनिरुद्ध ने हिम्मत नहीं हारी और दुगुनी मेहनत से फिर तैयारी की और 2017 की परीक्षा में AIR-146 के साथ हिंदी माध्यम में टॉप किया।

जीवन में हर सुख-दुख में एक दूसरे का साथ देने की कसम खाने वाले पति-पत्नी ने इस कसम को बखूबी निभाया है। दोनों ने एक दूसरे का इस तरह से हौंसला बढ़ाया और आज दोनों IPS अफसर हैं। दोस्तों, जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी है बस मन में यह दृढ निश्चय हो कि लक्ष्य पाने तक रुकना नहीं है।

हम बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ भी सकते हैं और जीत भी सकते हैं।
बस जरूरत है तो पक्के इरादों की, मेहनत के संकल्प की।

वीडियो

Share:

administrator

1 Comment

  • Vaishali Parmar, July 17, 2020 @ 3:40 am Reply

    Such an inspiration persons. Thank you for sharing This story.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *