ये कहानी है उस लड़के की जिसने 22 वर्ष की छोटी-सी आयु में देश की सबसे कठिन परीक्षा में पहली बार में ही सफलता हासिल करके रचा कीर्तिमान, आइये जानते हैं पेट्रोल पंप पर काम करने वाले के लड़के प्रदीप की IAS प्रदीप सिंह बनने की कहानी…
जिसके पास साहस का ऐसा अनंत आकाश हो, मुश्किलें आखिर उसकी सफलता के मार्ग में बाधा कैसे बन सकती हैं। जब मन में दृढ इरादा हो तो सामने कितना ही बड़ा पर्वत क्यों न हो, हिम्मत के आगे बौना ही लगता है। जिस बेटे के पिता कभी पेट्रोल पंप पर कार्य करते थे, जिन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए अपना घर तक बेच दिया। उस पिता के तप का फल आज स्वर्णिम सफलता के रूप में मिला है।
आज प्रदीप ने UPSC में दुबारा सफलता पाई है इस बार प्रदीप AIR- 26 लेकर पास हुए हैं पिछली बार उनकी रैंक 93 थी। मात्र 22 साल के प्रदीप ने अपने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा पास की थी। प्रदीप हमेशा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को देते हैं एक बार किसी इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा भी था कि मैंने जितना संघर्ष अपने जीवन में किया है, उससे कहीं ज्यादा संघर्ष मेरे-माता पिता ने किया है।
“पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं”
जिंदगी में अनगिनत तकलीफों से जूझते हुए प्रदीप ने कैसे सफलता पाई, आइये जानते उनके सफर के बारे में। अपने सपनों को उड़ान के लिए खुला आसमान देने के लिए प्रदीप ने दिल्ली आने का फैसला किया और वह अपने इस सफर के लिए 2017 में चले थे जब वो दिल्ली आए। दिल्ली आकर प्रदीप ने अपनी तैयारी शुरू की। प्रदीप बताते हैं कि यहाँ उन्हें आर्थिक रूप से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन कहते हैं न पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं। उनके माता – पिता ने कभी भी इन तकलीफों को उनकी पढ़ाई के बीच में नहीं आने दिया। उनके घर में पैसों की काफी दिक्कतें थीं, लेकिन उनके माता- पिता का जज्बा और हिम्मत तो प्रदीप से भी कहीं गुना ज्यादा था।
IAS प्रदीप सिंह के पिता इंदौर में एक पेट्रोल पंप पर काम किया करते थे वो हमेशा से अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहते थे ताकि वे जीवन में सफलता की ऊँचाइयों पर जा कर अपना नाम रौशन कर सकें। जब प्रदीप ने अपने पिता से कहा था कि वह यूपीएससी की परीक्षा देना चाहते हैं उनकी कोचिंग की फीस करीब 1.5 लाख रुपये होगी, इसके साथ ऊपर का खर्चा अलग होगा। उस वक़्त उनके पास पैसों की कमी थी। ऐसे में उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए अपना घर बेच दिया। उस दौरान उनके पिता और समस्त परिवार को काफी संघर्ष और तकलीफों का सामना करना पड़ा, लेकिन आज प्रदीप की सफलता से उनके पिता, उनका पूरा परिवार खुश है।
पढ़ाई के लिए पिता ने बेचा घर
प्रदीप कहते हैं कि पिताजी की जीवन भर की संपत्ति उनका इंदौर का मकान था। लेकिन मेरी पढ़ाई की खातिर उन्होंने उसे बेच दिया और एक पल के लिए भी ये न सोचा और न ही संकोच किया, वो बताते हैं कि लेकिन जब मुझे इस बात का पता चला तो मेरा मेहनत करने का जज्बा दोगुना हो गया। पिता जी के इस त्याग ने मेरे अंदर, मेर जूनून में और ज्यादा शक्ति भर दी और फिर मैंने ठान लिया कि ये यूपीएसई की परीक्षा किसी भी हाल में पास करनी ही है चाहे जो हो जाये।
इस सफर में अनगिनत बढ़ाएं थी जिनसे उनके परिवार ने बचाए रखा। यूपीएसई की मेंस परीक्षा के दौरान उनकी मां अस्पताल में एडमिट थी। लेकिन यह बात प्रदीप को नहीं बताई ताकि वो किसी भी तरह से टेंशन ना लें, और इसका असर उनकी पढ़ाई पर ना पड़े। प्रदीप के पिता जी ने घर ही नहीं बल्कि बिहार स्थित अपने गांव गोपालगंज की पुश्तैनी जमीन भी पढ़ाई की खातिर बेच दी ताकि दिल्ली में उनके बेटे को किसी भी तरह से पैसों की दिक्कत ना हो।
और आखिर कार मेहनत रंग लाई पहले प्रयास में 93वीं रैंक के साथ IRS और आज 26वीं रैंक के साथ IAS प्रदीप सिंह ने उनके पिता और पूरे परिवार के हर एक त्याग और तप को सार्थक कर दिया। हर मुश्किल में प्रोटेक्शन वॉल की तरह खड़े रहे उनके पिता, उनकी माँ और भाई उनकी प्रेरणा हैं उनका साहस हैं।