बचपन से ही मुश्किलों का पहाड़ उठाते हुए बड़े हुए अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम ( APJ Abdul Kalam ), जिन्होंने ज़िन्दगी में हर मोड़ पर अपनों को खोया लेकिन वो कभी नहीं टूटे, न वक्त से हारे, बस अपने संघर्ष की लड़ाई लड़ते रहे और आखिरकार पूरी दुनिया के समक्ष मिसाल बन गए। जिनके शब्द आपको ज़िन्दगी जीने का पाठ सिखाते हैं।
मुश्किलें ज़िंदगी का हिस्सा हैं, उसके कारण ज़िन्दगी को समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन स्वयं की मदद करें जिससे आप अपनी ताकत को जान सके, मुश्किलों को भी पता चलने दो कि उसके लिये आप कितने मुश्किल हो।
Impossible नहीं I’m possible का नाम, अब्दुल कलाम
एक ऐसा व्यक्तित्व जिसके जीवन का कोई पन्ना ऐसा नहीं जो सीख न देता हो। कोई ऐसा कथन नहीं जो रगो में जोश न भरता हो। जो Impossible में भी हमेशा I’m possible को देखता था। और जिसका मानना था कि हमें उम्मीद नहीं छोड़ना चाहिये और ना ही परेशानियों को यह मौका देना चाहिये कि वो हमें हरा सकें। दोस्तों वो और कोई नहीं हमारे देश के अनमोल रत्नों में से एक हैं – डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ( APJ Abdul Kalam )।
देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न से सम्मानित अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम को पूरा देश एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानता है। इनका नाम जितना बड़ा है उससे कहीं ज्यादा बडा इनका व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों का गहरा सागर है। जिससे भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व प्रेरित हैं। कलाम जी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी उपलब्धियों के सागर से वो नहीं, बल्कि बीते हुए कल में देश लाभान्वित हुआ और सदियों तक होता रहेगा।
वैज्ञानिक और इंजीनियर कलाम ने 2002 से 2007 तक 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की। मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध कलाम देश की प्रगति और विकास से जुड़े विचारों से भरे व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने हर भारतीय को सोचने समझने का एक नया नजरिया दिया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि

एपीजे अब्दुल कलाम ( APJ Abdul Kalam ) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ। पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। वो मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम करना पड़ा और उन्होंने कभी भी इन मुश्किलों से शिकायत भी नहीं की, बस अपने कर्म की राह को जो अपनाया कभी पलट कर नहीं देखा।
अखबार बेचकर की पढ़ाई
मात्र आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहा कर गणित विषय की पढ़ाई करने चले जाते थे। सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे और पैसे न होने के करण मुफ्त की ट्यूशन के लिए कलाम रोज़ नहा कर जाते थे। ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे किन्तु उनके जीवन का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ था, उन्होंने जिंदगी के कई अहम मौकों पर अपनों को खोया पर फिर भी सशक्त बने खड़े रहे।
ISRO में किया कमाल
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे और अपनी पूरी कार्य कुशलता के साथ वहां पर काम किया। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं। निश्चित पैमानों से अलग हटकर सोचना ही कलाम के व्यक्तित्व की खासियत थी जो उन्हें सबसे अलग बनाती है।
पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट

1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। भारत को मिली एक नई उपलब्धि की भेंट मिली थी जो अब्दुल कलाम जी के प्रयासों का ही नतीजा थी। देश को सशक्त बनाने की कड़ी में कलाम जी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विज़न 2020
कलाम ने विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिकीकरण करने की खास सोच दी। कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया। इन्होंने पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए। कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया। सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल, फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया।
भारत रत्न
इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई। ब्रह्मोस धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है। इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और फिर 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया था।
अलविदा
27 जुलाई 2015 एक ऐसा दिन जब हमने अपने देश के उस कोहिनूर को खो दिया जिसका मलाल गहरा है यह दिन पूरे देश को भावुक कर गया हर कोई शोक में था क्योंकि हमारे प्रिय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी हमारे बीच नहीं थे हर युवा, बूढा, बच्चा मौन था। हम सभी देश के गौरव डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी ( APJ Abdul Kalam ) को सलाम करते हैं। भले ही वो आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके महान विचारों के साथ वो सदैव हमारे ह्रदय में अमर रहेंगे।
वे कहते थे…
ऊंचाई तक जाने के लिए शक्ति अर्थात योग्यता की आवश्यकता होती है,
भले वो ऊंचाई एवरेस्ट की हो या आपके करियर की।
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